समाचार यह बताते हुए कि बाइडेन की नजर आने वाले हफ्तों में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने की है, जिससे अमेरिकी व्यवसायों को चीन में निवेश को सीमित किया जाएगा। इसमें कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नए निवेश प्रतिबंधित होंगे, जबकि दूसरे क्षेत्रों में कंपनियों को अमेरिकी सरकार को सूचित करने की जरूरत होगी।
चीन में अमेरिकी कंपनियों के निवेश पर नए प्रतिबंधों की घोषणा करने का बाइडेन प्रशासन अमेरिका में कथित है। इसकी जानकारी क्रिस्टोफर वुड नामक विश्लेषक ने एक शोध नोट में दी है। वुड ने बताया कि बाइडेन ने लक्ष्य बनाया है कि आने वाले हफ्तों में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया जाए, जो अमेरिकी व्यवसायों द्वारा चीन में निवेश को सीमित करेगा। इसके अलावा, कार्यकारी आदेश सेमीकंडक्टर्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर निवेश पर प्रतिबंध लगाएगा।
फैसले पर G7 शिखर सम्मेलन में समर्थन मांगेगा अमेरिका
अमेरिका में जो बाइडेन प्रशासन कथित तौर पर चीन में अमेरिकी कंपनियों के निवेश पर नए प्रतिबंधों की घोषणा करने वाला है। जेफरीज के विख्यात विश्लेषक क्रिस्टोफर वुड ने एक शोध नोट में यह जानकारी दी है। वुड ने लिखा, बताया जा रहा है कि बाइडेन का लक्ष्य आने वाले हफ्तों में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करना है जो अमेरिकी व्यवसायों द्वारा चीन में निवेश को सीमित करेगा। कार्यकारी आदेश कथित तौर पर सेमीकंडक्टर्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्वांटम कंप्यूटिंग को कवर करेगा।
वुड ने बताया कि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कुछ प्रकार के नए निवेश प्रतिबंधित होंगे, जबकि अन्य में कंपनियों को अमेरिकी सरकार को सूचित करने की जरूरत होगी। अमेरिका को उम्मीद है कि जापान में 19 मई से शुरू होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में इस तरह के निवेश प्रतिबंधों पर G7 भागीदारों से समर्थन प्राप्त होगा। अमेरिकी व्यापार द्वारा चीन में संच
क्या सेमीकंडक्टर्स की सप्लाई रोकने का मकसद?
यह अमेरिकी वाणिज्य विभाग की घोषित नीति चीन को उन्नत सेमीकंडक्टर्स की आपूर्ति को अवरुद्ध करने के लिए है। वुड ने बताया कि इस नीति से चीन को अपनी अर्थव्यवस्था को उन्नत करने से रोकने के साथ-साथ वाशिंगटन की राष्ट्रीय सुरक्षा लॉबी द्वारा लक्षित प्रयासों के रूप में भी अपनाया जा रहा है। यह चीन के बिगड़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए खतरनाक मध्यम वर्ग में फंस जाने की आशंका को बढ़ा देता है। इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान या विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन जैसे बड़े नेता देर से बयान देने से बचना चाहिए। इसके बजाय, येलेन के सुझावों को ध्यान में रखकर चीन के साथ संबंधों में समझौता करने के लिए समय-समय पर संभवतः लड़ाई करने की जरूरत होगी।
प्रतिबंधों से कैसे होगा भारत का फायदा?
वुड ने कहा कि येलेन का भाषण मिश्रित संदेशों का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व करता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि वाशिंगटन का साफ इरादा चीन को उसके विकास अधिकारों से वंचित करना है। इसका मतलब है कि यह आर्थिक जबरदस्ती है। इसलिए चीन और अमेरिका के बीच खींच-तान में फायदा भारत को होगा। चीन में निवेश करते समय अमेरिकी कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगाने से उन्हें निश्चित तौर पर नए विकल्पों की ओर जाना होगा। इस प्रकार, निवेश और व्यवसाय के लिए भारत आज पूरी दुनिया की पहली पसंद बन गया है। अगर सेमीकंडक्टर्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियां भारत आती हैं तो ये पहले से आईटी क्षेत्र में बादशाहत हासिल कर चुके भारत को और मजबूत बनाएगा।