जानकारी के अनुसार उत्तरी जापान में भूकंप के काफी तेज झटके महसूस किए गए। यह भूकंप दोपहर के करीबन 2 बजकर 48 मिनट पर आया था। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 6.1मापी गयी थी | इस भूकंप से किसी भी व्यक्ति की जान नहीं गयी है | खबरों के अनुसार जब ये भूकंप आया तो लोग अपने घरो से और ऑफिस से बहार भागताकि वो अपनी जान बचा सके |
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शुक्रवार के दिन भी आया था भूकंप
शुक्रवार, 24 मार्च को भी जापान के इजू आइलैंड्स में भूकंप के झटके आये थे। 24 मार्च को आये भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.6 दर्ज की गई थी। इजू द्वीप जापान के इजू प्रायद्वीप से पूर्व और दक्षिण में फैले ज्वालामुखीय द्वीपों का एक समूह है।। यूएसजीएस ने जानकारी दी थी कि यह भूकंप 12:06 बजे आया था |
जाने आखिर क्यों आता है भूकंप
हमारी पृथ्वी मुख्य चार परतों से बनी हुई है, जिन्हें इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट के नाम से जाना जाता है। ऊपरी मैन्टल और क्रस्ट को हम लिथोस्फेयर के नाम से जानते है। असल में यह 50 किलोमीटर की मोटी परतें होती हैं, जिन्हें हम टैक्टोनिक प्लेट्स कहते है। टैक्टोनिक प्लेट्स हमेशा अपनी जगह से खिसकती, हिलती और घूमती रहती हैं | हर साल ये प्लेट्स अपनी जगह से करीब 4-5 मिमी तक खिसकती हैं। ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। और इसी प्रक्रिया के दौरान कभी-कभी कोई एक प्लेट दूसरी प्लेट के करीब आ जाती है और कभी-कभी दूर हो जाती है। और कभी कभी इसी दौरान 2 प्लेट्स कभी कभी आपस में टकरा जाती है। इन प्लेटो के टकराने के ही कारण भूकंप आता है| ये प्लेटें हमारी सतह से लमसम 30-50 किमी तक नीचे होती हैं।
जाने भूंकप के केंद्र और तीव्रता के बारे में
तो हम आपको बताते है भूकंप का केंद्र असल में वो स्थान होता है, जिस जगह के ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। आमतौर इन जगहों पे भूकंप ज्यादा महसूस होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती है, उसका असर उतना ही काम होता जाता है। भूकंप को की तीव्रता हम रिक्टर स्केल पर मापते है। अगर रिक्टर स्केल पर मापे गए भूकंप की की तीव्रता 7 या इससे अधिक होती है तो इस प्रकार के भूकंप का असर 40 किमी तक के दायरे में होता है और यहाँ पर काफी तेज़ झटके महसूस होते है। मगर ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। अगर कंपन की आवृत्ति ऊपर की तरफ होती है तो प्रभाव क्षेत्र कम होता है। जितनी गहराई में भूकंप आता है, ज़मीन पर उतना ही काम कंपन महसूस होता है |