9 साल पहले एक सड़क हादसे में अपने दोस्त की मौत के बाद, यह व्यक्ति ने अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया कि वह सड़क सुरक्षा और हेलमेट के महत्व को फैलाने का काम करेगा। उसने इस मिशन को पूरा करने के लिए अपने सामर्थ्य के साथ-साथ अपने व्यक्तिगत संपत्ति और संबंधों का बलिदान दिया।
उसने सड़कों पर घूम-घूमकर हेलमेट बांटने का काम शुरू किया और लोगों को सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित किया। इस मिशन के लिए उसने अपना घर बेच दिया और पत्नी के गहने भी गिरवी रख दिया।
उत्तराखंड सरकार के साथ काम कर रहा हूं। बिहार सरकार ने मुझे द हेलमेट मैन ऑफ इंडिया का खिताब दिया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और सोनू सूद ने मेरे काम को सराहा है। हजारों लोग सोशल मीडिया पर मेरा हौसला बढ़ाते हैं। अपने जन्मदिन पर मुझे हेलमेट भेजते हैं, ताकि मैं उसे बांट सकूं।
कई लड़कियां मुझे राखी भेजती हैं। उन्हें मैं हेलमेट भेजता हूं। जो लोग हेलमेट नहीं खरीद पाते, कूरियर के जरिए उनके घर हेलमेट भेजता हूं।
मैंने एक और मिशन शुरू किया है। हर दिन मैं कहीं ना कहीं पार्क और चौराहों पर हेलमेट का स्टॉल लगाता हूं। लोग आते हैं पुरानी किताबें देते हैं और बदले में हेलमेट ले जाते हैं। ये किताबें जरूरतमंदों को दी जाती हैं। गरीब बच्चों के लिए 1400 लाइब्रेरी भी बनवा चुका हूं।